प्लास्टिक को ना कहें: छोटे कदम, बड़ा बदला
प्रस्तावना
हमारी पृथ्वी आज एक गंभीर संकट से गुजर रही है — प्लास्टिक प्रदूषण।
प्लास्टिक की खोज ने हमारे जीवन को जितना आसान बनाया, उतना ही यह हमारे पर्यावरण के लिए विनाशकारी भी सिद्ध हो रहा है। प्लास्टिक न केवल भूमि और जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन चुका है।
हर साल लाखों टन प्लास्टिक समुद्रों में फेंका जाता है, जिससे समुद्री जीव-जंतुओं की जान को खतरा होता है। यह जानना आवश्यक है कि प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो सैकड़ों वर्षों तक नष्ट नहीं होता।
ऐसे में जरूरी है कि हम अभी से छोटे-छोटे कदम उठाकर इस बड़ी समस्या से निपटें।
प्लास्टिक के दुष्परिणाम पर्यावरण प्रदूषण:
प्लास्टिक न तो मिट्टी में घुलता है, न ही पानी में। यह वर्षो तक यूँ ही पड़ा रहता है और भूमि को बंजर बनाता है।
समुद्री जीवन पर असर:
प्लास्टिक कचरा समुद्रों में जाकर मछलियों, कछुओं, और अन्य जीवों को नुकसान पहुँचाता है। कई बार वे इसे खाना समझकर निगल लेते हैं और मर जाते हैं।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
प्लास्टिक में मौजूद रसायन हमारे भोजन और पानी में मिल जाते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
पशु जीवन के लिए खतरा:
खेतों में पड़ी प्लास्टिक को गाय-बकरियाँ खा लेती हैं, जिससे उनकी आंतें जाम हो जाती हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
प्राकृतिक सौंदर्य को नुकसान:
पर्वत, नदियाँ, और समुद्र तट प्लास्टिक के कारण गंदे हो जाते हैं, जिससे पर्यटन पर भी असर पड़ता है।
क्या है समाधान?
समस्या का हल तभी संभव है जब हम सभी मिलकर जागरूक बनें और छोटे-छोटे कदम उठाएं।
1. प्लास्टिक की थैलियों को ना बाज़ार जर कपड़े या जूट के बैग का प्रयोग का एक बार की सुविधा के लिए ली गई प्लास्टिक थैली वर्षों तक पर्यावरण को नुकसान पहुँचाती है।
2. पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण जितना संभव हो प्लास्टिक उत्पादों का का दोबारा प्रयोग करें। साथ ही उन्हें अलग करके रीसायकल सेंटर तक पहुँचाएं।
3.पानी की बोतल साथ रखें जब भी बाहर निकलें, अपनी स्टील या कांच की पानी की बोतल साथ रखें। हर बार नई प्लास्टिक बोतल खरीदने से बचें।
4. प्लास्टिक से बनी सजावटी वस्तुओं का त्याग घर की सजावट में प्राकृतिक चीज़ें जैसे बाँस, लकड़ी, कपड़ा आदि का प्रयोग करें।
5. “सिंगल यूज़ प्लास्टिक” को अलविदा कहें एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक जैसे स्ट्रॉ, प्लास्टिक कप, प्लेट आदि का प्रयोग बंद करें। इनकी जगह बायोडिग्रेडेबल वस्तुएं चुनें।
6. बच्चों को भी करें जागरूक बच्चों को शुरू से ही प्लास्टिक के दुष्परिणाम बताएं और उन्हें प्रकृति से जोड़ें। वे भविष्य के नागरिक हैं।
सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने भी “सिंगल यूज प्लास्टिक” पर रोक लगाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। कई राज्यों में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन केवल सरकारी नियमों से यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती। जब तक आम नागरिक साथ न दें, तब तक कोई भी पहल सफल नहीं हो सकती।
समाज की शक्ति
समाज में यदि एक भी व्यक्ति बदलाव लाने की ठान ले, तो वह दूसरों को प्रेरित कर सकता है। स्कूल, कॉलेज, मोहल्ला समिति, और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर प्लास्टिक मुक्त भारत की दिशा में कार्य कर सकती हैं।
उदाहरण के लिए: सामूहिक स्वच्छता अभियान प्लास्टिक जागरूकता रैली ‘नो प्लास्टिक डे’ जैसे आयोजन स्थानीय बाजारों को कपड़े की थैलियाँ वितरित करना .
छोटे-छोटे कदम, बड़ा असर
कार्य परिणाम
प्लास्टिक थैली की जगह कपड़े की थैली हर वर्ष 1000+ थैलियों की बचत
प्लास्टिक बोतल की जगह स्टील बोतल रोज़ाना 1 बोतल × 365 दिन = 365 बोतलों की बचत
सिंगल यूज़ कटलरी न प्रयोग करना सामूहिक आयोजनों में हजारों प्लास्टिक बर्तनों की बचत
निष्कर्ष :
हम अक्सर सोचते हैं कि एक व्यक्ति क्या कर सकता है? लेकिन सच्चाई यह है कि बदलाव हमेशा एक छोटे कदम से ही शुरू होता है। अगर हर कोई यह ठान ले कि वह प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करेगा, तो यह पृथ्वी फिर से स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ बन सकती है। आज जरूरत है आदतों को बदलने की। एक कपड़े का बैग साथ रखने से लेकर बच्चों को जागरूक करने तक, हर कदम मायने रखता है। तो आइए, हम सब मिलकर शपथ लें – “प्लास्टिक को ना कहें, पर्यावरण को हां कहें!”
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